में मनाली के एक पेंटहाउस में अपनी बहू रश्मि के साथ 69 की
पोज़िशन में एक दूसरे की छूट छत रहे हैं. साथ ही साथ हमारी
गांद की चुदाई भी हो रही है. रश्मि की गांद मेरा बेटा राज मार
रहा है मेरी गांद मेरे बेटे का खास दोस्त रवि मार रहा है. इसके
पहले की में इसके आयेज कुछ काहु में आप सब को ये बताना चाहती
हूँ की हम यहाँ तक कैसे पहुँचे.
में एक तलाक़ शुदा औरत हूँ जिसने बड़ी मुश्किल से अपने पति से
अपने जीने का हक़ छीना है. मुझे तलाक़ के बाद एक चार कमरों का
फ्लॅट, एक गाड़ी और अची ख़ासी नकद रकम मिली जो हमारे गुज़रे के
लिए काफ़ी थी.
मेरा बेटा अपनी ग्रॅजुयेशन कर चक्का था और अगले महीने शादी करना
चाहता था. मेरा बेटा राज 22 साल की उमर और देखने में बहोट ही
सनडर था, 6" फ्ट की हाइट, भूरी आँखें और उसका बदन देखने
काबिल था. उसका सबसे खास और प्यारा दोस्त रवि की 6.01 फ्ट थी और
बहोट ही ताकतवर था. रवि भी 22 साल का था और उसकी आँखों भी
भूरी थी मेरे बेटे की तरह.
मेरा बेटा अपनी प्रेमिका रश्मि से शादी करना चाहता था, जो मुझे
बिल्कुल भी पसंद नही थी, लेकिन माइयन अपने बेट एके आगे मजबूर थी.
ना जाने क्यों मुझे हमेशा यही लगता था की वो मेरे बेट एके पैसों
के पीछे है.
वैसे रश्मि देखने माइयन काफ़ी सनडर थी, हिएत् 5.07, पतला बदन,
पतली कमर उसका फिगर 36-24-36 था. उसे मिनी स्कर्ट्स और इस तरह
के कपड़े पहनने का बड़ा शुक था. मेने अक्सर उसकी मिनी स्कर्ट में
से उसकी छूट के बाहर झँकते देखे थे.
मेरा भी फिगर कुछ कम नही था, 44 साल की उमर में भी मेने
अपने शरीर को संभाल कर रखा था. 35.25.36 मेरा फिगर था. माइयन
रोज़ दो घंटे स्विम्मिंग करती थी जिससे मेरा शरीर शेप में रह
सकूँ.
राज और रश्मि अगले महीने शादी करना चाहते थे इसलिए हुँने
शॉपिंग भी बहुत कीट ही. वो अपने हनिमून पर मनाली जाना चाहते
थे. एक दिन में शॉपिंग करने के लिए घर से निकली पर मुझे याद
आया की में कुछ समान घर में भूल गयी हूँ.
जैसे ही में घर में दाखिल हुई मुझे राज और रवि की आवाज़े सुनाई
दी. माइयन एक बेडरूम की और बढ़ी और उनकी आवाज़े सुनने की कोशिश
करने लगी. इतने में मेने रवि की आवाज़ सुनी,
"हन मेरे लंड को इसी तरह चूसो, बड़ा मज़ा आ रहा है."
मेने कमरे में झाँक कर देखा, रवि बेड के किनारे पर बैठा हुआ
था और मेरा बेटा घुटनो के बाल बैठ कर रवि के लंड को चूस रहा
था. मुझे विश्वास नही हो रहा था की मेरा बेटा जिसकी शादी एक
महीने मे होने वाली थी वो अपने दोस्त का लंड चूस रहा था.
"राज तुम तो यार रश्मि से भी अछा लंड चूस्टे हो?" रवि ने कहा.
में जो सुन रही थी उसपर मुझे विश्वास नही हो रहा था क्या रश्मि
और राज दोनो रवि के लंड के चूस्टे थे.
"मेरा पानी छूटने वाला है राज!" रवि बोला.
"आज तुम तुम्हारा पानी मेरे मूह पेर छोड़ो," कहकर राज ने रवि के
लंड को अपने मूह मे से निकल दिया.
में रवि के लंड को देख कर चौंक गयी, मुझे अंदाज़ा तो था की
उसका लंड मोटा और लंबा है लेकिन आज रूबरू देख कर माइयन चौंक
गयी. उसका लंड करीब 10" इंच लंबा और 4" इंच मोटा था. राज भी
उसके लंड को अपने हाथों में नही ले पा रहा था.
राज उसके लंड को हिला रहा था और साथ ही चूस्टे जर आहा था,
अचानक ही रवि के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया. मेने आज तक किसी
को इस तरह पानिन छोड़ते नही देखा था. रवि ने कम से कम 7 बार
पिचकारी छोड़ी होगी. राज ने उसके लंड को चूस कर एक दम निढाल कर
दिया था.
"आज तक मेने किसी लंड को इतना पानी छोड़ते हुए नही देखा." राज
बोला.
"तुम्हे क्या अछा लगता है मेरा पानी छोड़ने का तरीका या तुम्हारे मूह
में झड़ना." रवि ने पूछा.
"इस सवाल का जवाब देना बहोट कठिन है, जब तुम्हारा लॉडा हवा
में पानी फैंकता है तो भी अक्चा लगता है और जब वो मेरे मूह
में पिचकरी छोड़ता है तो ऐसा लगता है की मेरे गले की सारी
प्यास बुझ गयी है." राज ने रवि के लंड को और जोरों से चूस्टे
हुए कहा.
"क्या तुम मेरी गांद मरने को तय्यार हो? मुझे सही में तुम्हारा
लॉडा अपनी गांद में चाहिए," मेरे बेटे ने रवि से पूछा
में यही सोच रही थी की मेरा बेटा इतना बद्ड लॉडा अपनी गांद में
कैसे लगा, वहीं रवि ने क्रीम की शीशी निकल अपने लॉड पर अवाम
मेरे बेटे की गांद पर माल दी. रवि पहले तो धीरे धीरे गांद मरता रहा फिर जैसे ही उसने रॅफटर
पकड़ी मुझे विश्वास नही हुआ की मेरा बेटा इतना मोटा और लमनबा लंड
झेल सकता है.
रवि पहले तो धीरे धीरे राज की गांद मार रहा था फिर उसने रॅफटर
पकड़ ली. मुझे विश्वास नही हो रहा था की मेरा बेटा इतना मोटा लंड
अपनी गांद में झेल लेगा.
"हाआआं ज़ोर सीईई मेरी गाआआंद मरूऊओ, पुर्र्ररा घुसााअ दो"
राज ज़ोर ज़ोर से रवि से कह रहा था.
"तुम्हारी गांद बहोट अची है. सही में मुझे उतना ही मज़ा आ रहा
जितना मुझे रश्मि की गांद मरने में आता है." रवि ने अपने
धक्कों की रॅफटर बढ़ते हुए कहा.
"क्या तुम चाहते हो की आज में तुम्हारी गांद का कचूमर बना डू,"
रवि ने तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए कहा.
"हन आज ज़ोर से मेरी गांद मरो चाहे मेरी गांद फॅट ही क्यों ना
जाए." मेरा बेटा गिड़गिदते हुए रवि से बोला.
रवि ने अपना लंड तोड़ा सा बाहर खींचा और ज़ोर से राज की गांद
में पेल दिया.
"हन फाड़ दो मेरी गांद दो, छोड़ दो अपना पानी मेरी गांद में."
कहकर राज अपने लंड पर मूठ मरने लगा.
"तुम्हारी गांद सही में बड़ी जानदार है, मुझे तुम्हारी गांद मरने
में उतना ही मज़ा आ रहा है जितना मुझे रश्मि की गांद मरने में
आता है," कहकर और ज़ोर से उसने अपना लंड अंदर पेरल दिया.
रवि ने अपनी रॅफटर तेज कर दी, और वो ज़ोर ज़ोर से अपना लंड राज की
गांद के अंदर बाहर कर रहा था, "ले मेरा पूरा लंड ले ले मेरा
छूटने वाला है." कहकर रवि ने अपना पानी राज की गांद में छोड़
दिया.
रवि रुकने का नाम नही लाए रहा था. उसका लंड अब्भी भी राज की
गांद के अंदर बाहर हो रहा था, में पहली बार किसी को इतनी ताक़त
से और ज़ोर से छोड़ते देख रही थी.
"आज में तुम्हारी गांद की धज्जियाँ उड़ा दूँगा," रवि और तेज़ी से
गांद मरते हुए बोला.
"हाआआं फ़ाआआद दो मेर्रर्र्ररी गाआाअंड को." राज उसका साथ देते
हुए बोला.
रवि का लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. उसके चेहरे के
खींचाव को देख कर लग रहा था की वो दुबारा छूटने वाला है. रवि
और ज़ोर ज़ोर से लंड पेल रहा था. दोनो की साँसे फूली हुई थी.
"ये मेरााआ छूटा" कहकर रवि ने वीर्या राज की गांद में उंड़ेल
दिया.
"हााआआं मुझे महसूस हो रहााआअ है, छोद्दद्ड दो सारा पानी
मेरी गाआआंद में छोड़ दो." राज हानफते हुए बोल रहा था.
इनकी चुदाई देख में डांग रह गयी थी. में सोच रही थी क्या
रश्मि को ये सब मालूम है? रश्मि भी तो रवि से चुड़वति है, तो
ज़रूर मालूम होगा. में चुपचाप अपने कमरे में आ गयी. मेरी छूट
भी इनकी चुदाई देख गीली गो गयी थी. मेरा खुद का मान छुड़वाने को
कर रहा था.
शाम को में शॉपिंग के लिए घर से निकली, मेरे ख़यालों में अभी
भी राज और रवि का नज़ारा घूम रहा था. मेने सोच लिया था की
में उनपर ज़्यादा नज़र रखूँगी, शायद रश्मि को चुड़ते देखने का
मौका मिल जाए.
दो दिन बाद में कम पर से घर लौटी तो मुझे राज के कमरे से
आवाज़ें सुनाई दे रही थी. मेने धीरे से खिड़की से झाँका तो देखा
बिस्तर पर रवि, राज और रश्मि के बीच में बैठा हुआ था. तीनो
नंगे थे और उनके कपड़े कमरे में चारों तरफ बिखरे पड़े थे.
रश्मि घुटनो के बाल होकर रवि का लंड चूस रही थी.
"अब मेरी बरी है." कहकर राज ने रश्मि से रवि का लंड लिया और
चूसने लगा.
रश्मि बिस्तर के नीचे उतार राज के लंड को अपने मूह में ले चूसने
लगाई.
में असचर्या चकित थी की मेरा बेटा और उसकी होने वाली बीवी दोनो
ही लॉडा चूस रहे थे.
राज और रश्मि दोनो लंड को तब तक चूस्टे रहे जब तक रवि और
राज के लंड पानी नही छोड़ दिया. रवि ने अपने वीर्या से राज का मूह
भर दिया और राज ने अपने वीर्या की पिचकारी रश्मि के मूह म्ेईः छोड़
दी.
रवि ने फिर रश्मि को बिस्तर के किनारे पर बिता उसकी टाँगे फैला
दी. उसने दोनो टाँगे को और फैला अपना जीव रश्मि की छूट पर रख
उसे चाटने लगा. रवि अब ज़ोर ज़ोर से उसकी छूट को चूस रहा था, वो
अपनी जीव उसकी छूट के अंदर दल छोड़ रहा था. थोड़ी देर में ही
रश्मि के मूह से मादक सिसकारियाँ फुट रही थी.
"हाआआं चााआआतो और्र्र्ररर ज़ोर से चूवसो हाआआऐं यहीयईिन."
रश्मि का शरीर अकड़ने लगा, वो अपनी गर्दन उन्माद में इधर उधर
कर रही थी.
लगता था की रवि इस खेल का पुराना खिलाड़ी था उसे आचसी तरह
मालूम था उसे क्या करना है, वो ज़ोर से अपनी जीव रस्मी की छूट में
घुसा अपने होठों से पूरी छूट को मूह में ले लेता. वो ज़ोर ज़ोर से
तब तक रश्मि की छूट छत रहा था जब तक रश्मि की छूट नही
छोड़ दिया और वो तक कर उसे रुकने को कहने लगी,
"प्लीज़ रुक जाओ बसस्स्स्सस्स और नही में और सहन नही कर सकती."
में अगले चार घंटे तक इस चुदाई का नज़ारा देखती रही. चारों
आसान बदल बदल कर चुदाई कर रहे थे, जैसे पूरी कामसुत्रा का
अनुभव करना चाहते हो. में खुद गिनती भूल गयी की कायं कितनी बार
झाड़ा.
थोड़ी देर सुसताने के बाद रवि का लंड फिर टन कर खड़ा हो गया
था, रश्मि भी उसका लंड अपनी छूट में लेना चाहती थी. रवि
बिस्तर पर लेट गया और रश्मि उसपर चाड उसके लंड को छूट के छेड़
पर लगा खुद उसके लंड पर बैठ गयी.
रवि का पूरा लंड रश्मि की छूट में घुस चक्का था. उसने रवि के
लंड को खुद की छूट में जगह बनाना का समय दिया और फिर खुद
धक्के लगाने लगी. उसके कुल्हों को पकड़ रवि भी नीचे से ढके
लगा रहा था. रश्मि के मूह से सिसकारियाँ फुट रही थी,
"हाआाआआं ओह य्ाआआआआआ आईसस्स्स्स्सीईई ही."
इतने में राज रश्मि के पीछे आ गया और उसे तोड़ा नीचे झुका उसकी
गांद को सहलाने लगा. उसने अपनी दो उंगली उसकी गांद में ग्घहुसा
दी, "उूुुुुउउ माआआआ," रश्मि दर्द से करही.
राज थोड़ी वॅसलीन ले अपने लंड और उसकी गांद पे लगा दिया, और
फिर अपना 6' लंड उसकी गांद माइयन पेल दिया. अब रवि रश्मि को नीचे
से छोड़ रहा था और राज पीछे से. मेने आज तक दो लंड एक साथ
नही लिए थे, ये सीन देख के मेरी छूट में पानी आ गया.
मेने आने वेल दीनो में कई बार रश्मि, राज और रवि को एक साथ
चुदाई करते देखा. मुझे भी किसी से छुड़वा कई साल हो गये थे
और मेरा भी शरीर गरमा उठता था.
ऐसा लगता था की तीनो को सेक्स के अलावा कुछ सुझाई ही नही देता था.
मेने नही जानती थी की ये सब कुछ कितने दीनो तक चलेगा. अगले
महीने राज और रश्मि की शादी होने वाली थी.
एक दिन जब वो तीनो चुदाई मे मशगूल थे में हर बार की तरह उन्हे
चुप कर देख रही थी. में अपने ही ख़यालों में खोई हुई थी की
अचानक मेने देखा की रवि मुझे ही देख रहा था. शायद उसने
मुझे छुपकर देखते पकड़ लिया था. क्या वो सब को ये बता देगा ये
सोचते हुए में वापस अपने कमरे मे आ गयी.
कुछ दिन गुज़र गये पर रवि ने किसी से कुछ नही कहा. में समझी
शायद उसने मुझे ना देखा हो पर उस दिन के बाद मेने छुपकर देखना
बंद कर दिया.
शनिवार के दिन राज और रश्मि ने अपने कुछ दोस्तों के साथ पिक्निक
मानने चले गये. मेने सोचा की चलो आज घर में कोई नही में
भी तोड़ा आराम कर लूँगी.
मेने अपने सारे कपड़े उत्तर दिए और नंगी हो गयी. एक रोमॅंटिक
नॉवेल ले में सोफे पर लेट पढ़ने लगी. बेखायाली मे मुझे याद नही
रहा की मेने दरवाज़ा कैसे खुला छोड़ दिया. मुझे पता तब चला
जब मेने रवि की आवाज़ सुनी, "किताब पढ़ी जेया रही है."
मेने तुरंत अपना हाथ अपने नाइट गाउन की तरफ बढ़ाया पर रवि ने
मेरे गाउन को मेरी पहुँच से डोर कर दिया था. मेने झट से एक
हाथ से अपनी चुचियों को ढाका और दूसरे हाथ से अपनी छूट को
ढाका.
"तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम तो राज के साथ पिक्निक पर जाने वेल
थे?" मेने तोड़ा चिंतित होते हुए पूछा.
"पता नही क्यों मेरा मान नही किया उनके साथ जाने को. उस दिन के बाद
मेने सोचा आप अकेली होंगी चल कर आपका साथ दे दूं. आपको ऐतराज़
तो नही?" रवि ने जवाब दिया.
"ज़रूर ऐतराज़ है. आज में आकेयलए रहना चाहती हूँ. अब तुम यहाँ से
चले जाओ." मेने अपनी आवाज़ पर ज़ोर देते हुए कहा.
रवि ज़ोर से हँसने लगा और अपने कपड़े उत्तर दिए, "में थोड़ी देर
आपके साथ बिताकर चला जौंगा."
में उसके व्यवहार को लेकर चिंतित हो उठी. जब उसने कपड़े उत्तरने
शुरू किए तो में चौंक पड़ी. मेने गौर से उसके लंड की तरफ
देखा, मुरझाए पं की हालत में भी वो कम से कम 6' इंच लंबा
दिख रहा था. मेने अपनी नज़रें हटाई और पेट के बाल लेट गयी
जिससे उसकी नज़रों से अपने नंगे बदन को छुपा साकु.
"इसमे इतनी हैरानी की क्या बात है. तुम मुझे इससे पहले भी नंगा
देख चुकी हो." उसने कहा.
उसे पता था की में उन लोगो को चुप कर देख चुकी हूँ और में
इनकार भी नही कर सकती थी. उसने एक बार फिर मुझे चौंका दिया
जब वो मेरे नग्न चुततादों को सहलाने लगा.
साइड टेबल पर पड़ी तेल की शीशी को देख कर वो बोला, "प्रीति
तुम्हारे चुतताड वाकई बहोट शानदार है और तुम्हारा फिगर. लाओ में
तोड़ा तेल लगा कर तुम्हारी मालिश कर देता हूँ."
मेने महसुस्न किया को वो मेरे कंधों पर और पीठ पर तेल दल रहा
है. फिर वो तोड़ा झुकते हुए मेरे बदन पर तेल मलने लगा. उसके
हाथों का जादू मेरे शरीर मे आग सी भर रहा था. उसका लंड अब
खड़ा होकर मेरे चुततादों की दरार पर रग़ाद खा रहा था. मेने
अपने आप को छुड़ाना चाहा पर वो मुझे कस कर पकड़े तेल मलने
लगा.
मेरे कंधों और पीठ पर से होते हुए उसके हाथ मेरी पतली कमर पर
मालिश कर रहे थे. फिर और नीचे होते हुए अब वो मेरी नगञा
जांघों को मसल रहे थे. अब वो मेरी गांद पर अपने हाथ से धीरे
धीरे तेल लगाने लगा. बीच मे वो उन्हे भींच भी देता था. एक अजीब
सी सनसनी मेरे शरीर में दौड़ रही थी.
रवि काफ़ी देर तक यूँही मेरी मालिश करता रहा. गांद की मालिश
करते हुए कभी वो मेरी जांघों के बीच मे भी हाथ दल देता था.
फिर उसने मुझे कंधे से पकड़ा और पीठ के बाल लिटा दिया. इससे
पहले की में कोई विरोध करती उसने मेरे होठों को अपने होठों मे ले
चूसना शुरू कर दिया. अब मुझसे अपने आपको रोक पाना मुश्किल लग
रहा था आख़िर इतने दीनो से में भी तो यही चाहती थी. मेने अपने
आपको रवि के हवाले करते हुए अपना मुँह तोड़ा खोला और उसने अपनी
जीभ मेरे मुँह में दल घूमने लगा.
रवि मेरे निचले होठों को चूस्टे हुए मेरी थोड़ी फिर मेरी गर्दन
को चूम रहा था. जब उसने मेरे कांके लाउ को चूमा तो एक अजीब सा
नशा छा गया.
अपनी जीब को होल होल मेरे नंगे बदन पर फिरते हुए नीचे की और
खिसकने लगा. जब वो मेरी चुचियों के पास पहुँचा तो उसने मेरी
चुचियों को हल्के से मसालने लगा. मेरे ताने हुए निपल पर अपनी
जीब फिरने लगा. अजीब सी गुदगुदी मच रही थी मेरे शरीर मे.
कितने सालों से में इस तरह के प्यार से वंचित थी.
रवि मेरी आँखों में झँकते हुए कहा, "तुम्हारी चुचियों बड़ी
शानदार है."
में उसके छूने मात्रा से झड़ने के कगार पर थी. रवि ने मुझे
ऐसे हालत पे लाकर खड़ा कर दिया था की मेरी छूट मात्रा चुने से
पानी छोड़ देती.
वो मेरी चुचियों को चूसे जेया रहा था और दूसरे हाथ से मेरी
जांघों को सहला रहा था. झड़ने की इक्चा मेरे में त्रव होती जेया
रही थी. मेरी छूट में आग लगी हुई थी और उसका एक स्पर्श उसकी
उठती आग को ठंडा कर सकती थी.
मेने उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा, "रवि प्लीज़ प्लीज़….."
"प्लीज़ क्या प्रीति बोलो ना? तुम क्या चाहती हो मुझसे? क्या तुम झड़ना
चाहती हो?' जैसे उसने मेरी मान की बात पढ़ ली हो.
"हन रवि मेरा पानी चूड़ा दो, में झड़ना चाहती हूँ." मेने जैसे
मिन्नत माँगते हुए कहा.
उसने मेरी दोनो चुचियों को साथ साथ पकड़ कर मेरे दोनो निपल को
अपने मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने लगा. अपनी मुँह हटा कर वो फिर
से वही हरकत बार बार दोहराने लगा जब तक में अपने कूल्हे ना
उकचलने लगी.
जैसे ही उसका हाथ मेरी छूट पर पहुँचा उसने अपनी उंगली मेरी गीली
हुई छूट में घुसा दी. फिर उसने अपनी दो और उंगली मेरी छूट में
घुसा कर अंदर बाहर करने लगा.
रवि फिर मेरी टॅंगो के बीच आ गया और मेरी छूट को अपने मुँह मे
ले लिया. उत्तेजना के मारे मेरी छूट फूल गयी थी. वो मेरी छूट को
चूस और छत रहा था. रवि अपनी लंबी ज़ुबान से मेरे गंद के छेड़
से चाटते हुए मेरी छूट तक आता और फिर अपनी ज़ुबान को अंदर घुसा
देता.
उसके इस हरकत ने मेरी टॅंगो का तनाव बढ़ा दिया और एक पिचकारी की
तरह मेरी छूट ने उसकी मुँह मे पानी छोड़ दिया. मेरे शरीर मारे
उत्तेजना के कांप रहा था और मुँह से सिसकारिया निकल रही थी.
रवि ने आक्ची तरह मेरी छूट को छत कर साफ किया और फिर खड़े
होते हुए मेरी ही पानी का स्वाद देते हुए मेरे होठों को चूम लिया.
"देखा तुम्हारी छूट के पानी का स्वाद कितना अक्चा है. और तुम्हारी
छूट पानी भी पिचकारी की तरह छोड़ती है." उसने कहा.
"हन राज मेरी छूट उत्तेजना में फूल जाती है और पानी भी इसी
तरह छोड़ती है. मेरे पति का अक्चा नही लगता था इसीलिए वो मेरी
छूट को चूसना कम पसंद करता था." मेने कहा.
"में समझ सकता हूँ. अब में तुम्हे आराम से प्यार करना चाहता हूँ
और तुम भी मज़े लो." कहकर रवि मेरी चेहरे पर हाथ फिरने लगा.
रवि उठ कर खड़ा हो गया और उसका लंड और टन कर खड़ा हो गया.
में अपनी जिंदगी में सबसे लंबे और मोटे लंड को देख रही थी.
रवि का लंड मेरे पति के लंड से दुगना था लंबाई मे. वो काँसे कम
9'इंच लंबाई मे और 5' इंच मोटाई मे था. मेरा जी उसके लंड को
मुँह मे लेने को मचल रहा था और में दर भी रही थी क्योंकि
मेने आज तक इतने लंबे लंड को नही चूसा था.
उसने मुझे धीरे से सोफे पर लिटा दिया. में आराम से लेट गयी और
अपनी टाँगे फैला दी. उसने अपने लंड को मेरी छूट के मुँह पर रखा
और धीरे से अंदर घुसा दिया.
मेने कस कर रवि को अपनी बाहों में जाकड़ लिया था. उसके लंड की
लंबाई से मुझे दर लग रहा था की कहीं वो मेरी छूट को सही मे
फाड़ ना दे.
रवि धीरे से अपने लंड को बाहर खींचता और फिर अंदर घुसा देता.
मेने अपनी टाँगे उठा कर अपनी छाती से लगा ली जिससे उसको लंड
घुसने में आसानी हो. जब उसका लंड पूरा मेरी छूट मे घुस गया
था तो वो रुक गया जिससे मेरी छूट उसके लंड को अड्जस्ट कर सके.
मुझे पहली बार लग रहा था की मेरी छूट भर सी गयी है.
रवि ने मेरी आँखों मे झाँका और पूछा, "प्रीति तुम ठीक तो हो
ना?"
मेरे मुँह से आवाज़ नही निकली, मेने सिर्फ़ गर्दन हिला कर उसे हन
कहा और अपने बदन को तोड़ा हिला कर अड्जस्ट कर लिया. मुझसे अब
रहा नही जेया रहा था.
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